The Greatest Guide To Shodashi
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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं
साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं
Her 3rd eye signifies greater perception, helping devotees see over and above Actual physical appearances for the essence of truth. As Tripura Sundari, she embodies adore, compassion, as well as the Pleasure of existence, encouraging devotees to embrace everyday living with open hearts and minds.
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam
The apply of Shodashi Sadhana is a journey to equally enjoyment and moksha, reflecting the twin nature of her blessings.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥
ईक्षित्री सृष्टिकाले त्रिभुवनमथ या तत्क्षणेऽनुप्रविश्य
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः
सावित्री तत्पदार्था शशियुतमकुटा पञ्चशीर्षा त्रिनेत्रा
चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया
Cultural activities like folk dances, music performances, and performs will also be integral, serving read more like a medium to impart common stories and values, especially on the more youthful generations.
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।